Monday, April 4, 2016

क्या है 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ? +Rameshraj



क्या है 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ?
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मित्रो !
   'नव कुंडलिया 'राज' छंद' , छंद शास्त्र और साहित्य-क्षेत्र  में मेरा एक अभिनव प्रयोग है | इस छंद की रचना करते हुए मैंने इसे १६-१६ मात्राओं के ६ चरणों में  बाँधा है, जिसके हर चरण में ८ मात्राओं  के उपरांत सामान्यतः (कुछ अपवादों को छोडकर ) आयी 'यति' इसे गति प्रदान करती है | पूरे छंद के ६ चरणों में ९६ मात्राओं का समावेश किया गया है |
    'नव कुंडलिया 'राज' छंद' की एक विशेषता यह भी है कि इसके प्रथम चरण के प्रारम्भिक 'कुछ शब्द' इसी छंद के अंतिम चरण के अंत में पुनः प्रकट होते हैं |  या इसका प्रथम चरण पलटी खाकर छंद का अंतिम चरण भी बन सकता है |
   छंद की दूसरी विशेषता यह है कि इस छंद के प्रत्येक चरण के 'कुछ अंतिम शब्द ' उससे आगे आने वाले चरण के प्रारम्भ में शोभायमान होकर चरण के कथ्य को ओजस बनाते हैं | शब्दों के इस प्रकार के दुहराव का यह क्रम सम्पूर्ण छंद के हर चरण में परिलक्षित होता है | इस प्रकार यह छंद 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' बन जाता है
   'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में मेरा उपनाम 'राज ' हो सकता है बहुत  से पाठकों के लिये एतराज का विषय बन जाए या किसी को इसमें मेरा अहंकार नज़र आये | इसके लिये विचार-विमर्श के सारे रास्ते खुले हैं |

'नव कुंडलिया 'राज' छंद' पर आपकी प्रतिक्रियाओं का मकरंद इसे ओजस बनाने में सहायक सिद्ध होगा |            
+रमेशराज

2 comments:

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  2. एक साहित्यिक समूह बरेली में कवि श्री *रमेश राज तेवरीकार* से परिचय हुआ । आपने *नव कुंडलिया राज छंद* आरंभ किया है तथा इस प्रयोग को सामने रखा। प्रयोग सराहनीय है तथा प्रयोग से ही नई-नई चीजें निकलती हैं। मैंने भी उसी के आधार पर चार नव कुंडलिया राज छंद बनाए , जो इस प्रकार हैं:-
    ( *1* )
    *रानी चिड़िया (नव कुंडलिया राज छंद )*
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    रानी चिड़िया , चूँ - चूँ करती
    चूँ - चूँ करती ,कभी न डरती
    कभी न डरती ,क्षण में उड़ती
    क्षण में उड़ती ,जग से जुड़ती
    जग से जुड़ती , बनी कहानी
    बनी कहानी , चिड़िया रानी
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    ( *2* )
    *नेता (नव कुंडलिया राज छंद)*
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    नेता जी ने , रुपै कमाए
    रुपै कमाए , कैसे आए
    कैसे आए , रिश्वत खाई
    रिश्वत खाई ,जाँच कराई
    जाँच कराई ,धमकी देता
    धमकी देता ,घटिया नेता
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    ( *3* )
    *घोटाले(नव कुंडलिया राज छंद)*
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    घोटाले पर, है घोटाला
    है घोटाला , गया न टाला
    गया न टाला, आओ टालें
    आओ टालें, बुरे न पालें
    बुरे न पालें , जीजा साले
    जीजा साले , अब घोटाले
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    ( *4* )
    *शाकाहारी (नव कुंडलिया राज छंद)*
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    शाकाहारी , जीवन जीना
    जीवन जीना ,खून न पीना
    खून न पीना ,स्वाद न चखना
    स्वाद न चखना ,संयम रखना
    संयम रखना , पशुता हारी
    पशुता हारी , शाकाहारी
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    *रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा**
    *रामपुर (उत्तर प्रदेश )*
    मोबाइल 99 9761 5451

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